tag:blogger.com,1999:blog-8642249427504742665.post3131834571545724612..comments2023-03-22T17:32:28.561+05:30Comments on खाकी में इंसान: पंचों ने सुनाया राक्षसी फरमान…अशोक कुमारhttp://www.blogger.com/profile/03318722487634999551noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-8642249427504742665.post-62608518679107535992012-09-29T22:43:47.396+05:302012-09-29T22:43:47.396+05:30very embarassing story.In present era I could not ...very embarassing story.In present era I could not beleive that this type of incident can take place.<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/08933634490725154658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8642249427504742665.post-72827006215851001502010-01-02T09:07:37.875+05:302010-01-02T09:07:37.875+05:30व्यवस्था के संचालन के लिए जो लोग जिम्मेदार हैं ...<b>व्यवस्था के संचालन के लिए जो लोग जिम्मेदार हैं उन्होंने मामले पर कभी भी सही दृष्टिकोण से विचार नहीं किया और खुद को बचाने के चक्कर में इस तरह के मामले को दबाने में ही यकीन किया है।</b><br />सही बात है. दुर्भाग्य से सरकारी नौकरियों में कर्मियों के चयन में बुराई से लड़ने की इच्छाशक्ति और साहस का परीक्षण नहीं होता है. विशेषकर पुलिसकर्मियों के चयन और प्रशिक्षण में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है. उस थानाध्यक्ष को समझाने के लिए आपको बधाई!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8642249427504742665.post-90009292319400192832010-01-02T08:51:39.951+05:302010-01-02T08:51:39.951+05:30इस तरह की खबरें देख अंदर तक सिहरन सी हो जाती है कि...इस तरह की खबरें देख अंदर तक सिहरन सी हो जाती है कि कैसे एक महिला को इतनी प्रताडना देने का फरमान पंचायत ने सुनाया होगा। <br /> लानत है ऐसी पंचायतों पर। यह घटना तो आपके संज्ञान में आ गई लेकिन दूर दराज में न जाने कितनी ऐसी घटनाएं घट जाती हैं जिनका कि कहीं जिक्र तक नहीं होता। <br /> पोस्ट के जरिये अपनी बात सबके सामने रखने का शुक्रिया। अक्सर इस तरह की बातें अंदरखाने में या तो दबा दी जाती हैं या फिर उस मानसिकता में गुम हो जाती हैं कि - हुई थी एक घटना। <br /> ब्लॉगिंग का एक आयाम यह भी है कि बात बोलने लगती है।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8642249427504742665.post-81118357545583507142010-01-02T08:25:34.933+05:302010-01-02T08:25:34.933+05:30अशोक जी सब से पहले तो आप के साहस और कर्तव्यपरायणता...अशोक जी सब से पहले तो आप के साहस और कर्तव्यपरायणता को सलाम!<br />एक और तो पढ़ कर ही शर्म से सिर झुकने लगता है कि हम किस तरह के समाज में जी रहे हैं। दूसरी और आप जैसे पुलिस अधिकारियों को देख कर गर्व भी होता है। <br />आप को नववर्ष की शुभकामनाएँ! नया वर्ष आप के लिए नई खुशियाँ लाए।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com