समर्पित

इन्सानियत की सेवा करने वाले खाकी पहने पुलिस कर्मियों को जिनके साथ कार्य कर मैं इस पुस्तक को लिख पाया और
माँ को, जिन्होंने मुझे जिन्दगी की शुरुआत से ही असहाय लोगों की सहायता करने की सीख दी

बुधवार, 27 जनवरी 2010

अब अंग्रेजी में Human in Khaki: किरण बेदी ने किया लोकार्पण

khaki4 बाएं से दाएं: लोकेश ओहरी (सह-लेखक), अशोक कुमार (लेखक), डॉ.किरण बेदी, आर.के.भाटिया(IPS), पी.एम.नायर(IPS)

चित्र में पीछे: लेखक की पत्नी डॉ. अलकनन्दा प्रसन्न मुद्रा में

Human in Khakhi-Dainik Hindustan-23-1-10

Human in Khakhi-Amar Ujala-23-1-10 

Human in Khakhi-Dainik Bhaskar-23-1-10

 

Human in Khakhi-Dainik Hindustan-24-1-10

 

Human in Khakhi-NBT-23-1-10

Human in Khakhi-The Statesman-24-1-10

 

Human in Khakhi-Vir Arjun-23-1-10

डॉ. किरण बेदी द्वारा इस प्रयास की मुक्त कंठ की सराहना की गयी। उन्होंने कहा कि इस किताब में संस्मरण के रूप में जिन सच्चे मुद्दों को उठाया गया है उसे टेलीविजन पर धारावाहिक रूप में दिखाया जाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग इसका सन्देश ग्रहण कर सकें। प्रशंसकों, मीडिया और मेरे सहकर्मियों द्वारा जो समर्थन और सहयोग दिया गया है उससे मैं अभिभूत हूँ। हार्दिक धन्यवाद।

(अशोक कुमार)

4 टिप्‍पणियां:

  1. Congratulations Ashok sir... really it's a great pleasure to see a book written by an honest police officer. An officer who is trying to reestablish the faith of comman man in POLICE.
    Jai Hind...

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  2. पुस्तक के प्रकाशन और विमोचन पर बधाई! वैसे जिस प्रकार की शक्ति पुलिस तंत्र को दी गयी है उससे पुलिस का कितना भी बुरा होना मानवता के लिए और प्रजातंत्र के लिए बहुत बुरा है. इनके चयन, प्रशिक्षण और प्रशासनिक कार्यवाही में आमूलचूल परिवर्तन की ज़रुरत है.

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  3. बहुत बहुत बधाई पढने की इच्छा हो रही है । देखते हैं कब पढ पाते हैं धन्यवाद

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